तुम न आए तो क्या सहर न हुई —ग़ालिब March 16, 2014 by Priyank तुम न आए तो क्या सहर[1] न हुईहाँ मगर चैन से बसर[2] न हुईमेरा नाला[3]सुना ज़माने नेएक तुम हो जिसे ख़बर न हुई शब्दार्थ: ↑ प्रात: ↑ गुज़रना ↑ रोना-धोना, शिकवा Rate this:Share this:FacebookTwitterEmailLike this:Like Loading... Related