उन्होंने प्यार को मेरे अब आजमाना छोड़ दिया
भरोसा हो गया शायद कि अब ख्वाबों में आना छोड़ दिया
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कैसा करिश्मा है मेरे महबूब का
आग लगाता भी वही बुझाता भी वही
मिलता कैसे आराम उनके चाहने पर भी
कि दर्द भी वही दवा भी वही
कैसे भटक न जाऊं मैं यहाँ पर
कि मंजिल भी वही रास्ता भी वही
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कोई पूछे तो कैसे बताएं की हम क्या काम करते हैं
तुम्हारा नाम लेते हैं तुम ही को याद करते हैं