पेचीदा पेंच जीवन के

कल जब तुम आओगे
सुकून भी होगा कशमकश भी होगी
कुछ आहें भी होंगी कुछ अफवाहें भी होंगी
सोचेंगे सब लोग तुम्हारे बारे में
करेंगे बात अब लोग हमारे बारे में
वो ख्याल जिन्हें कभी आवाज़ नसीब न हुई
कहे जायेंगे वो भी गैरों के अल्फाजों में
जहाँ न आदर होगा न श्रद्धा होगी
न विश्वास होगा न अहसास होगा
जब सुनेंगे हम उन्हें तमाशबीनों की तरह
कुछ हिचकिचाहट तो होगी
सिर्फ मोहब्बत में इतनी न होती
पर इबादत में तो होगी
कल जब तुम आओगे
कुछ मोहब्बत भी होगी कुछ इबादत भी होगी

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